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कुछ दिन की सरकार, मंहगाई की भरमार …….

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vipin 1
कुछ दिनों की सरकार, मंहगाई की भरमार……
मेरे हिसाब से कुछ ही दिनों में किसी भी सरकार के काम का आंकलन करना कहीं से भी मुझे तर्क संगत नहीं लगता लेकिन इन दिनों में सरकार ने क्या किया ये हर कोई जानना चाहता है फिलहाल जो मंहगाई दिखाई दे रही है क्या लोगों को इस महंगाई से निजात मिलेगी ? क्या देश में वाकई में मोदी सुशासन लायेंगे ? क्या भारत विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर होगा ? या फिर ये कहावत झूठ साबित होगी कि मोदी के आने से अच्छे दिन आयेंगे ऐसे तमाम सवालों की लंबी फेरहिस्त जनता की निगाहों में है क्योंकि मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी टीम ने श्अबकी बार मोदी सरकारश् के नारे के साथ अच्छे दिन लाने का वादा किया था और इसीलिए अवाम से किए वादे के अनुसार ही मोदी सरकार को प्रगति देनी चाहिए पर इस एक महीने के कार्यकाल को अगर देखा जाए तो मुझे ऐसा कुछ नही दिखता कि मोदी देश की अवाम के प्रति थोडा भी सजग हैं क्योंकि रेल किराए और माल भाड़े का बढ़ना मोदी सरकार पर कई सवाल खड़े करने के लिए काफी हैं हालांकि मोदी सरकार इन कड़वे फैसलों के लिए सीधे तौर पर इसका दोष पिछली यूपीए सरकार के सिर मढ़ रही है यानि कि मोदी सरकार अपने हर कड़वे फैसले के लिए पिछली सरकार को दोषी ठहरा रही है फिर चाहे वो रेल किराया व माल भाड़े में ईजाफे के फैसले की बात हो या फिर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार के और दूसरे फैसले। वैसे भी इस लोकतन्त्र में श्प्रयोगश् के लिए जगह नहीं है क्योंकि देश की औसत जनता महँगाई से टूट चुकी है कुछ ही दिनों के शासन-काल में श्कठोर निर्णयश् के नाम पर जिस तरह से महँगाई बढ़ी है और बढ़ती जा रही है, वह कहीं मोदी सरकार के लिए गले की फाँस न बन जाए इसलिए मोदी सरकार को इसे गम्भीरतापूर्वक समझना होगा जहीँ अब चीनी के दाम बढ़ना और एलपीजी के साथ ही केरोसीन के दाम किस्तों में बढ़ाने की खबरें पहले ही महंगाई के बोझ तले दबी जनता को सीधे-सीधे बुरे दिनों की ओर ईशारा कर रही हैं। केंद्र सरकार को चाहिए अपनी आयात-निर्यात-नीति को जन-जन के हित में प्रतिपादित करे क्योंकि मोदी सरकार के मन्त्रियों की कतिपय शिथिलता के दुष्परिणाम देश की आवाम बरदाश्त नहीं कर पाएगी क्योंकि आवाम पहले से हर ओर व्याप्त महँगाई से त्रस्त है और ऊपर से आपने केन्द्रीय बजट प्रस्तुत होने से पहले ही तमाम मदों में मूल्य-वृद्धि कर अपनी दूरदर्शिता का परिचय देने की होड़ में अपनी एक महीने की सरकार को विफलता की और धकेलने का पूरा इंतजाम कर लिया है सरकार ने जमाखोरों पर कार्रवाई करने के लिए कहा था लेकिन इनके खिलाफ कुछ न किया जो बात पिछली सरकार कहती थी, वही मोदी सरकार बयाँ कर रही है लेकिन आखिर क्यों कोई भी कार्यवाही नही होती, रेल-विभाग के टिकट-परीक्षकों, गार्डों, आर.एम.एस. डिब्बों के कर्मचारियों, जी.आर.पी. आदि-द्वारा प्रतिदिन चोरी किये जा रहे राजस्वों को बचाने के लिए मोदी सरकार ने क्या सोचा है ? क्या इसका जवाब है केंद्र सरकार के पास कि यात्री-किराया तो बढ़ा दिया पर यात्रियों को सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुँचाने की जिम्मेदारी को कौन निभाएगा। हर रोज आठ से दस घण्टे रेलगाडि़याँ विलम्ब से आतीं है इसके लिए क्या उपाय किया मोदी सरकार ने ? यदि किया है तो देश की जनता से रूबरू होइए ? केंद्र सरकार ने माल-भाड़ा बढ़ाकर जो अघोषित मूल्य-वृद्धि की है क्या आपको नहीं लगता कि देश के सारे केंद्रीय कार्यालयों में एक-से-बढ़कर-एक भ्रष्टाचारी विराजमान है उनसे निबटने के लिए आपकी सरकार ने क्या कायदे कानून बनाये हैं देश की आवाम व्यथित है आपके इन फरमानों को सुनकर ।…….
विपिन शर्मा
सम्पादक
इडियन हेल्पलाइन राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका

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