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किसान आर्थिक रूप से मजबूत कब बनेंगा

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किसान आर्थिक रूप से मजबूत कब बनेंगा
देखा जाये तो किसानों की दिन-रात की मेहनत भारत की आय में एक बहुत बड़ी भागीदारी कृषि उपज के द्वारा निभाती है, किसानों की मेहनत के बल पर ही पूरा देश अन्न की कमी कभी महसूस नहीं करता है फिर भी किसानों की तरफ सरकार का ध्यान नही जाता है जिससे किसानों की हालत बहुत दयनीय बनी हुई है आये दिन अखबार के पेज किसानों की दयनीय स्थित को दर्शाते हैं लेकिन सरकार चुप साध कर बैठी रहती है। किसानों के पास अपने कृषि उपकरण न होने की बजह से उन्हें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है ऋण का बोझ बढ़ने से आये दिन किसानों के द्वारा आत्महत्या की घटनाएं होती ही रहती हैं सरकार को किसानों की स्थिति में सुधार के लिये पर्याप्त कदम उठाने चाहिये। ये तो सभी जानते हैं कि जब किसान आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगा तभी भारत पूर्ण विकसित राष्ट्र कहला पायेगा। मैं यहाँ पर ये भी कहना चाहूँगा कि किसानों को भी अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए आत्महत्या करना आपकी परेशानियों का हल नहीं है उलटे आपके आत्महत्या करने से आप अपने पूरे परिवार को अँधेरे में छोड़ जाते है जिसकी बजह से आपका पूरा परिवार परेशानियों में डूब जाता है आप लोगों को ये समझना होगा कि मनुष्य एक सामजिक प्राणी ह,ै और प्राणी इस जगत का सबसे सर्वाधिक विकसित जीव है और इस समाज के बिना उसका रहना कठिन ही नहीं असम्भव है इसलिए आप अपने हक को पहचानिए अपने अधिकार को समझिये । हमारे देश में सबसे ज्यादा संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। कहने को देश का हर नागरिक अपने अधिकारों की बात करता है लेकिन थोड़ा ठहरकर सोंचे, अपने आस-पड़ोस, समाज और देश के प्रति क्या हमें हमारे कर्तव्यों का एहसास है साफ-सुंदर, विकसित और खुशहाल भारत यही है सबका सपना, लेकिन कोई अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का ध्यान नहीं रखता भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होना चाहिए कि वह संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें, हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें, वनों का क्षेत्रफल निरंतर घटता जा रहा है क्योंकि मनुष्य अपनी चालाकी एवं स्वार्थी प्रवृत्ति के कारण वन्य प्राणियों के रहने का स्थान भी छीनता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक आने वाले समय में मानसून की अनिमितताएं और मानव के लिये संकट बढ़ता जा रहा है जहाँ तक संभव हो वृक्षों को ना ही स्वयं काटें और ना ही काटने दें क्योंकि यदि हमें मानव जाति का संरक्षण चाहिये तो वनों का संरक्षण भी अवश्य ही करना होगा और वनों की बर्बादी रोकनी होगी इसलिए प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करे, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव उसका संवर्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखें, सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे, भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखें, भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुंद्ध है, स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करें। सांस्कृतिक धरोहरों का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है। क्या ऐतिहासिक स्थलों की दीवारों पर प्रेमियों के नाम खोदा जाना हमारी महान संस्कृति का हिस्सा है? कश्मीर से कन्याकुमारी तक तमाम ऐतिहासिक स्थलों की दीवारों, रेलवे शौचालयों, पार्को या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जितनी मानसिक गंदगी का विवरण मिलता है, यह जाहिर करता है कि आजादी के इतने वर्षो बाद भी हम गुलाम आदतों से मुक्त नहीं हो सके। अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोना, अपनी अनमोल धरोहरों का सम्मान करना और उन्हें भावी पीढि़यों के लिए सुरक्षित रखना हर जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है। लेकिन ये कोई नहीं करता और अपने अधिकारों की बात सब करते हैं लेकिन दायित्वों की बात कोई नहीं करता। लेकिन एक अच्छा नागरिक वह है जो देश का नागरिक होने की अपनी सभी जिम्मेदारियों का पालन करे, क्योंकि कोई भी देश लोगों के आचरण से ही आगे बढता है। भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्म साथ फले-फूले और यहां के लोगों का समग्र रूप से धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण रहा है। देश की पहचान उसकी विविधता से है और यहां सहिष्णुता तथा अपने की तुलना में अन्य के विचारों का सम्मान करने की गर्वित विरासत रही है। अब हम यह प्रण लें कि देश के प्रति अपने कर्तव्यों को लेकर हम देशवासियों को जागरूक करें। जिससे हमारा देश दिन दुगुनी रात चैगुनी उन्नति कर सकें।
विपिन शर्मा

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